Vandaniya Mataji was the life consort of Vedmurti Pandit Shriram Sharma Acharya. She was also a realized devotee and Tapasvi of "Gayatri". Mataji was and continues to be "the heart" of Gayatri Teerth, Hardwar.
The people that were fortunate enough to have met her personally, heard her lectures, and interacted with her directly or indirectly have truly been blessed in their lives. She inspires you, binds you emotionally to the greater causes of the mission (Gayatri Teerth, Shantikunj) and you can feel her presence in your life every single day!
The people that were fortunate enough to have met her personally, heard her lectures, and interacted with her directly or indirectly have truly been blessed in their lives. She inspires you, binds you emotionally to the greater causes of the mission (Gayatri Teerth, Shantikunj) and you can feel her presence in your life every single day!
Acharya Shriram Sharma ji has himself described Mataji in the following words :
"मिशन को बढ़ाने में माताजी ने हमारे बाएं या दाएं हाथ की नहीं, हृदय की भूमिका निभाई हैं । उन्हीं की भावनाओं के संचार से मिशन पलता और बढ़ता रहा है। औरों की तरह हम भी उनका प्यार दुलार पाकर धन्य हुए हैं, अन्यथा इतने आघातों के चलते कौन जाने हम कब टूट बिख़र कर चकना चूर हो गए होते । वह भावनामयी हैं , प्यार तो जैसे उनके रोम रोम में बसा है । उन्हे हमारी तरह बातें बनाना तो नहीं आता , पर मम्तत्व लुटाने में वे हमसे बहुत आगे हैं । इसी कारन हम उन्हें सजल श्रद्धा कहते हैं ।"
This below mentioned quote aims at bringing two powerful excerpts from Mataji's lectures. These Quotes are from a lecture that Vandaniya Mataji gave at Shantikunj on the occasion of Navratri. A video link to this lecture is provided at the end of this article.
This Navratri lecture inspires us to develop the qualities of Samarpan (समर्पण ) and Shraddha (श्रद्धा) as a pre-requisite to success in worship ! The below mentioned quotes explain that the path to Spirituality goes beyond mere rituals.Without the development of deep love and faith towards God, the journey does not have an appropriate ending.......
Excerpts / Quotations from Vandaniya Mataji's Navratri Lecture (Hindi):
1.गंगाजी नहाने से क्या पाप काटे जा सकते हैं ?
"आजकल लोग कहतें हैं हम गंगाजी नहा आयेंगे तो हमारा बहुत भला होगा , हमारे सारे पाप कट जायंगे ! नहीं साहेब आपका एक भी पाप दूर नहीं होगा, ज़रा भी दूर नहीं होगा |
क्यों नहीं होगा ? इसलिए नहीं होगा की आपने पाप को हटाने की कोशिश तो की नहीं ...और नहाने से समझ लिया की हमारे पाप चले जायेंगे |
नहाने से पाप कैसे चले जायेंगे? नहाने की बात हैं तो मछली भी उसी में रहती हैं , तो मछली क्यों नहीं तर जाती हैं ?
इसलिए नहीं तरती क्योंकि इसमें भावना मिलाने की ज़रुरत है । श्रद्धा को मिलाने की ज़रुरत है । श्रद्धा मिला दी तो आप पा जायेंगे ...जैसे कबीर, और मीरा पा गए । "
Source :
Source :
Lecture by Mata Bhagwati Devi Sharma ( लेक्चर नवरात्री का महत्व , The Significance of Navratri, कोट @ 6:10 mins )
2. पूजा /जप करते समय क्या आपका मन भागता है ?
"जब आप जप करते हैं तो आपका मन भागता रहता है . जहां प्रेम होता हैं वहीँ मन भागता है . व्यापार में होगा तो व्यापार में मन भागेगा, बीवी बच्चों से होगा तो बीवी बच्चों में भागेगा . भगवान् के प्रति हमारा प्रेम हैं कहाँ ? यदि हमारा प्रेम सच्चा प्रेम हैं तो भगवान् हमसे दूर नहीं हैं । प्रेम की परिभाषा हैं सम्वेदना ।
Other Links :
"जब आप जप करते हैं तो आपका मन भागता रहता है . जहां प्रेम होता हैं वहीँ मन भागता है . व्यापार में होगा तो व्यापार में मन भागेगा, बीवी बच्चों से होगा तो बीवी बच्चों में भागेगा . भगवान् के प्रति हमारा प्रेम हैं कहाँ ? यदि हमारा प्रेम सच्चा प्रेम हैं तो भगवान् हमसे दूर नहीं हैं । प्रेम की परिभाषा हैं सम्वेदना ।
हमारे दो हाथ है. एक पुरुषार्थ के लिए और एक परमार्थ के लिये. फिर हम भगवन से वोह क्यों मांगते हैं जो हम खुद अपने पुरुषार्थ से कमा सकते है. भगवान् से हमें वोह माँगना चाहिए जिससे हम निहाल हो जायें और समाज और राष्ट्र और आने वाली पीढियां भी निहाल हो . लोकहित के लिए मांगिये ।
भगवान के दर्शन के लिए हमें अपने हृदय में देखना चहिये । हम जहाँ तहां भागते हैं अपने पैसे खर्च करतें हैं लेकिन भगवन नहीं मिलते - क्योंकि भगवन के दर्शन एक फिलोसोफी है । उस फिलोसोफी को समझे बगैर हम जहां तहां भटकते रहते है ।
चलो बद्रीनाथ चलो, जगन नाथ पूरी चलो, केदारनाथ चलो। आपको बद्रीनाथ की मालूम है फिलोसोफी ? बद्रीनाथ पर कृष्णा भगवान ने बारह साल ताप किया था । आप जाते हैं और बस ढोक लगा आते हैं . उसके पीछे जो छिपा हुआ शिक्षण हैं वोह कहाँ चला गया? "
Quotations source :
Lecture by Mata Bhagwati Devi Sharma ( लेक्चर नवरात्री का महत्व , The Significance of Navratri, कोट @ 14:00 mins )Quotations source :
Other Links :
Wikipedia Link : Param Vandaniya Mataji Bhagwati Devi Sharma
Acharya Shriram Quote on Vandaniya Mataji is from the preface to the Book - Rishi Chintan Key Sannidhye Mein
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1 comment:
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