Sunday, March 3, 2013

युवा पीढ़ी को उज्जवल भविष्य का मार्गदर्शन - Book of Quotes in Hindi from Acharya Shriram Sharma's Vangmay !

The book " युवा पीढ़ी को उज्जवल भविष्य का मार्गदर्शन " (Yuva Pidhi Ko Ujjwal Bhavishya ka Margdarshan) is a compilation of one page easy to read thought provoking quotes in Hindi. All Quotes are excerpts from Acharya Shriram Sharma's "Vangmaya" series of Books.

Vangmay's are individual books structured around a specific topic, much like encyclopedia Britannica. Each Book or each Vangmaya, is an Upanishad by itself.

This book has a fantastic collection of Quotes in Hindi aimed mainly at giving direction to the youth on how to live their life. It has pointers on How we can "Build a successful Life while living righteously". Like all other books by Acharya Shriram Sharma , this book makes for a great motivational and inspirational read for both the young and all adults.



Sample Quotes from the book:

यह दुर्भाग्य ही है की आज धन को सर्वप्रथम स्थान और सम्मान मिल गया ! इसका दुष्परिणाम यह हुआ की व्यक्ति अधिकाधिक धन सँग्रह करके बडे से बड़ा सम्मानीय बनना चाहता है , जबकि धन का उपयोग बिना उसे रोके निरंतर सत्यप्रयोजनो में प्रयुक्त करते रहना ही हो सकता है !
गड्ढे में जमा किया पानी तथा पेट में रुक हुआ अन सड़ जाता है , और अपने संग्रह्कर्ता को उन्मादी बनाते है और अनेक विकार पैदा करता है !तिजोरी में बंद नोट अपने संग्रहकर्ता को उन्मादी बनाते है और और सारे समाज में बदबू भरी महामारी फैलाते है !

इसलिए धन उपार्जन की प्रशंसा के साथ साथ यह तथ्य भी जुड़ा हुआ है की महत्वपूर्ण अवश्यताक्ताओं की पूर्ती के लिए उसे तत्काल प्रयुक्त करते रहा जाये ! ( Vangmaya Nos 66)

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संसार में कांटे बहुत हैं ! उन सबको हटा देना बहुत कठिन हैं ! यह सरल हैं की अपने पैरों में जूते पहने और बिना कांटे कंकडों से कष्ट पाये निश्चिनतिता पूर्वक विचरण करे !

सारी दुनिया को अपनी इच्छा अनुकूल चलाने वाला नहीं बनाया जा सकता , पर अपना सोचने का ढंग ऊँचा उठाकर लोगों से बिना टकराये सरलता पूर्वक अपने को बचाकर रखा जा सकता हैं और बिना टकराए वक्त गुज़र सकता हैं !
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हमें यह जानना चाहिए की इश्वर किसी के भाग में कुछ और किसी के भाग्य में कुछ लिख कर पक्षपात नहीं करता और ना ही भविष्य को पहले से तैयार करके किसी को कर्म की स्वतंत्रता में बाधा डालता हैन.

हर आदमी अपने इछानुसार कर्म करने में पूर्ण स्वतंत्र है ! कर्मो के अनुसार ही हम सब फल पाते हैं ! इसलिए भाग के ऊपर अवलंबित ना रहकर मनुष्य को कर्म करना चाहियें !


To read or download the Balance Quotes , please click the BOOK TITLE below.

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